Cabinet Approves One Nation One Election Proposal
प्रधानमंत्री मोदी ने एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश को मंत्रिमंडल से मंजूरी मिलने के बाद कहा: मैं पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को इस प्रयास की अगुवाई के लिए बधाई देता हूं। उनका कहना था कि यह हमारे लोकतंत्र को अधिक जीवंत और सहभागी बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे एक्स सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट करते हुए कहा है।
2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक देश एक चुनाव का वादा किया था। बुधवार को मोदी कैबिनेट ने ‘वन नेशन वन चुनाव’ का प्रस्ताव पारित किया। वन नेशन वन इलेक्शन की प्रक्रिया को नियंत्रित करने के लिए आठ सदस्यीय कमेटी की अध्यक्षता पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने की।
Ramnath Kovind Committee का गठन 2 सितंबर 2023 को हुआ था। 14 मार्च को कमिटी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंप दी। बुधवार को मोदी सरकार ने इसे मंजूरी दी। विधानसभाओं का कार्यकाल 2029 तक बढ़ाने का प्रस्ताव कमिटी ने दिया है। इस पर संसद के शीतकालीन सत्र में बिल प्रस्तुत किया जा सकता है।
The Cabinet has accepted the recommendations of the High-Level Committee on Simultaneous Elections. I compliment our former President, Shri Ram Nath Kovind Ji for spearheading this effort and consulting a wide range of stakeholders.
— Narendra Modi (@narendramodi) September 18, 2024
This is an important step towards making our…
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को कोविंद समिति द्वारा प्रस्तुत ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ की सिफारिशों को मंजूरी दी। 14 मार्च 2024 को, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित समिति ने अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपी।
कोविंद समिति की सिफारिशों को बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में मंजूरी दी गई। बैठक के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसकी जानकारी मीडिया को दी।
कोविंद समिति 2 सितंबर 2023 को गठित हुई। 191 दिन तक चर्चा करने के बाद समिति ने 18,626 पन्नों की रिपोर्ट बनाई।
आठ सदस्यीय समिति ने आम लोगों से भी विचार मांगे थे। 21,558 आम लोगों ने सुझाव भेजे। इसके अलावा, 47 राजनीतिक दलों ने अपने विचार और सुझाव भी दिए, जिनमें से 32 ने इसका समर्थन किया। ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ की ओर 80 प्रतिशत सुझाव थे। समिति ने देश के प्रमुख उद्योग संगठनों और अर्थशास्त्रियों के भी सुझाव लिए थे।
“वन नेशन, वन इलेक्शन” की चर्चा 1999 में शुरू हुई, जब विधि आयोग ने अपनी 170वीं रिपोर्ट में हर पांच साल पर लोकसभा और सभी राज्यों के विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने का सुझाव दिया। 2015 की 79वीं रिपोर्ट में कार्मिक, लोक शिकायत, विधि एवं न्याय पर संसदीय की स्थायी समिति ने दो चरणों में चुनाव कराने की सिफारिश की।
कोविंद समिति ने भी स्थानीय निकाय, लोकसभा और विधानसभा चुनावों को दो चरणों में कराने का सुझाव दिया है। समिति ने कहा कि पहले चरण में लोकसभा और राज्यसभा के चुनाव एक साथ कराए जाएंगे, और दूसरे चरण में स्थानीय निकायों के चुनाव 100 दिन के भीतर कराए जाएंगे।
“वन नेशन, वन इलेक्शन” का कार्यान्वयन करने के लिए एक समूह बनाया जाएगा। राजनीतिक दलों और अन्य हितधारकों से भी क्रियान्वयन समूह चर्चा करेगा. मंत्रिमंडल द्वारा पारित सिफारिशों पर भी चर्चा होगी। इसके बाद संविधान संशोधन विधेयक संसद में पेश किया जाएगा।
एक प्रश्न के उत्तर में अश्विनी वैष्णव ने कहा कि सरकार विधेयक लाने से पहले राजनीतिक दलों के साथ पूरी तरह से चर्चा करेगी। वैष्णव ने कहा कि अभी यह कहना संभव नहीं है कि 2029 के लोकसभा चुनाव से “वन नेशन, वन इलेक्शन” लागू होगा।
संविधान संशोधन के लिए मोदी सरकार को एनडीए से बाहर के दलों का भी सहयोग चाहिए। सदन में मौजूद सदस्यों के कम से कम दो-तिहाई का विधेयक के पक्ष में मतदान करना संविधान संशोधन के लिए आवश्यक है. इसके लिए सदन की सदस्य संख्या के पचास प्रतिशत की आवश्यकता होती है।
कोविंद समिति में अन्य सदस्यों में गृह मंत्री अमित शाह, पूर्व लोकसभा नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी, पूर्व राज्यसभा नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद, पूर्व लोकसभा महासचिव सुभाष कश्यप, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और पूर्व सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी शामिल हैं। विपक्षी कांग्रेस पार्टी ‘एक देश, एक चुनाव’ का विरोध करती है, इसलिए अधीर रंजन चौधरी और गुलाम नबी आजाद कभी समिति की बैठकों में नहीं गए।