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कोलकाता की महिला डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या के खिलाफ भारतीय डॉक्टरों का राष्ट्रव्यापी हड़ताल

Indian Doctors Call Nationwide Strike

PC: India Today

Indian Doctors Call Nationwide Strike

भारतीय डॉक्टरों ने कोलकाता में एक महिला डॉक्टर के साथ हुए दुष्कर्म और हत्या की भयावह घटना के विरोध में देश भर में हड़ताल की घोषणा की है। यह हड़ताल देश भर में चिकित्सा बिरादरी के रोष और क्रोध का प्रतीक है। डॉक्टरों ने इस घटना के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है, जिससे न केवल चिकित्सा समुदाय बल्कि पूरा समाज घबरा गया है।

भारतीय डॉक्टरों ने पिछले सप्ताह पूर्वी शहर कोलकाता में एक प्रशिक्षु चिकित्सक के बलात्कार और हत्या पर बढ़ते क्रोध के कारण देश भर में अस्पताल सेवाओं को बंद करने का आह्वान किया है।

400,000 सदस्यों वाले देश के सबसे बड़े डॉक्टरों के समूह, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA), ने कहा कि शनिवार को आवश्यक सेवाओं को छोड़कर अधिकांश अस्पताल विभागों पर 24 घंटे का शटडाउन लागू होगा।

घटना का विवरण

इस भयानक घटना का शिकार कोलकाता की एक युवा महिला डॉक्टर थी, जो एक सरकारी अस्पताल में काम करती थी। रिपोर्टों के अनुसार, डॉक्टर को उनके कार्यस्थल से अपहरण कर लिया गया था और फिर उनके साथ बलात्कार किया गया था। अपराधियों ने फिर उनकी क्रूर हत्या कर दी। यह घटना चिकित्सा क्षेत्र में काम करने वाले लोगों की सुरक्षा पर भी सवाल खड़े कर दी है।

इसके बाद, 31 वर्षीय प्रशिक्षु डॉक्टर के बलात्कार और हत्या पर अपनी क्रांति व्यक्त करने के लिए हजारों लोगों ने कई शहरों में सड़कों पर उतरे, जिसका क्रूर शव 9 अगस्त को कोलकाता के सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज में मिला।

शुक्रवार को, पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता, पश्चिम में मुंबई और दक्षिण भारत में हैदराबाद में न्यायालयों और अस्पतालों में बेहतर सुरक्षा की मांग को लेकर बड़े विरोध प्रदर्शन हुए।

कोलकाता में डॉक्टरों ने हस्तलिखित नारे लगाए, जिन पर लिखा था, “कोई सुरक्षा नहीं, कोई सेवा नहीं! हमें न्याय चाहिए!”

नई दिल्ली में संसद के बाहर प्रदर्शन कर रहे लोगों ने जवाबदेही की मांग करते हुए बैनर पहने हुए थे।

डॉक्टरों, खासकर महिलाओं को उनके काम की विशेषता के कारण हिंसा का सामना करना पड़ता है। “अस्पतालों और परिसरों के अंदर डॉक्टरों की सुरक्षा प्रदान करना अधिकारियों का काम है,” आईएमए ने गुरुवार को एक्स पर जारी एक बयान में कहा।”

चिकित्सा समुदाय का विरोध

चिकित्सा समुदाय इस जघन्य घटना से बहुत दुखी है। डॉक्टरों ने घटना को चिकित्सा क्षेत्र की गरिमा पर हमला बताया है। भारतीय चिकित्सा संघ (IMA) ने इस घटना का विरोध करते हुए देश भर में 24 घंटे की हड़ताल की घोषणा की है। देश भर के अस्पतालों में ओपीडी सेवाएं बंद रहेंगी, और आपातकालीन सेवाएं ही काम करेंगे। डॉक्टरों का कहना है कि यह हड़ताल सरकार को उनकी मांगों पर ध्यान देने के लिए है।

मांगें और अपेक्षाएं

डॉक्टरों ने इस हड़ताल के माध्यम से सरकार से कड़ी कार्रवाई की मांग की है। उनकी मुख्य मांगें हैं:

  1. दोषियों के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई: डॉक्टरों का कहना है कि इस जघन्य अपराध में शामिल सभी अपराधियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर, उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए।
  2. चिकित्सकों की सुरक्षा: डॉक्टरों ने अपनी सुरक्षा की मांग की है, विशेषकर उन महिला डॉक्टरों के लिए जो नाइट शिफ्ट में काम करती हैं। डॉक्टरों का कहना है कि उनके काम की प्रकृति को देखते हुए, उन्हें पर्याप्त सुरक्षा उपाय मुहैया कराए जाने चाहिए।
  3. कठोर कानूनों की आवश्यकता: डॉक्टरों का कहना है कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कठोर कानून बनाए जाने चाहिए, जिससे कि चिकित्सा पेशे से जुड़े लोग सुरक्षित महसूस कर सकें।

जन समर्थन

आम जनता भी इस हड़ताल का समर्थन कर रही है। सोशल मीडिया पर लोग डॉक्टरों की मांगों से सहमत हैं और अपना गुस्सा व्यक्त कर रहे हैं। इस हड़ताल को कई सामाजिक संगठन और मानवाधिकार समूहों ने भी समर्थन दिया है, और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

सरकार की प्रतिक्रिया

सरकार ने डॉक्टरों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए इस मामले की जांच करने के लिए एक अलग समिति बनाई है। सरकार ने कहा कि दोषियों को कानून के अनुसार सख्त सजा दी जाएगी और उन्हें बख्शा नहीं जाएगा। साथ ही, सरकार ने चिकित्सा संस्थानों में सुरक्षा प्रणाली को और अधिक मजबूत करने का भी वादा किया है।

पूरे देश को कोलकाता की इस दुखद घटना ने हिला कर रख दिया है। डॉक्टरों की यह हड़ताल एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे न केवल दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की जा रही है, बल्कि चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े लोगों की सुरक्षा के लिए भी आवाज उठाई जा रही है। भविष्य में ऐसी घटनाओं को न होने देने के लिए सरकार और समाज एकजुट होना चाहिए। सभी को डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करना चाहिए, जो दिन-रात समाज के लिए काम करते हैं।

थोड़ा बदलाव आया है


राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने बताया कि 2022 में भारत में 31,000 से अधिक बलात्कार की घटनाएं दर्ज की गईं. यह सबसे पिछले वर्ष का डेटा है।2012 में उत्तरी भारत के दिल्ली में एक बस में एक युवती के साथ सामूहिक बलात्कार और हत्या के कारण देश में महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा को नियंत्रित करने में देश की विफलता पर राष्ट्रीय स्तर पर विरोध और आक्रोश फैल गया।

एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, 2012 के हमले के समय पुलिस हर साल पूरे भारत में 25,000 बलात्कार के मामले दर्ज करती थी।2012 से, सरकार ने आपराधिक न्याय प्रणाली में बड़े बदलाव किए हैं, जिसमें मौत की सजा और बार-बार अपराध करने वालों के लिए कड़ी सजा शामिल है।

एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, 2018 से 2022 के बीच बलात्कार की सजा की दर 27 से 28 प्रतिशत थी।बलात्कार की परिभाषा को गैर-प्रवेशनीय कृत्यों को भी शामिल किया गया है और बलात्कार के मुकदमों के लिए उम्र सीमा कम कर दी गई है, जिससे 16 साल के बच्चों को वयस्कों के रूप में मुकदमा चलाया जा सके।लेकिन प्रचारकों का कहना है कि कठोर कानूनों के बावजूद बहुत कम बदलाव हुए हैं।

बलात्कार पीड़ितों का प्रतिनिधित्व करने वाली आपराधिक वकील रेबेका एम जॉन ने कहा कि कुछ बलात्कारी अभी भी सोचते हैं कि वे अपने अपराधों से बच सकते हैं।उनका कहना था कि कानून के डर की अनुपस्थिति होगी।

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