Rajesh Khanna Ashirwad Bunglow In Mumbai
ये बंगले फ़लक छूती कामयाबी से लेकर दिल तोड़ने वाली नाकामी तक के ख़ामोश गवाह रहे हैं।
इसलिए बॉलीवुड के मशहूर बंगलों पर इस ख़ास सीरीज़ की शुरुआत उस बंगले से जिसका नाम, शाहरुख़ खान के ‘मन्नत’ से सालों पहले, अपने आप में एक पूरा पता बन गया था।
सुपरस्टार राजेश खन्ना का बंगला ‘आशीर्वाद’।
भूत बंगला के नाम से मशहूर ‘बानो विला’
बांद्रा पश्चिमी मुंबई का एक प्रसिद्ध उपनगर है। आज बांद्रा बैंडस्टैंड और आसपास की कार्टर रोड एक लैंडमार्क स्थान हैं।
आज भी, समंदर के सामने बसे इस पॉश इलाके में कई बड़े फिल्म स्टार और उद्यमी रहते हैं।
आज इस इलाके में बहुत सारे हाई-राइज़ बिल्डिंग्स होने से बहुत भीड़भाड़ लगती है। लेकिन ध्यान से देखें तो आपको सालों से खड़ी कुछ जर्जर इमारतें और पुराने बंगले दिखाई देंगे।
ये इमारतें और बंगले एक पूरा इतिहास रखते हैं। 1950-60 के दशक में कार्टर रोड पर काफी बंगले थे।
इनमें से अधिकांश ईस्ट इंडियन और पारसी थे. उस दौर में हिंदी सिनेमा के सर्वश्रेष्ठ संगीतकार नौशाद का घर इसी कार्टर रोड पर समंदर के सामने था।
‘आशियाना’ के पास एक और दो मंज़िला बंगला था, जो बहुत बुरी हालत में था और बहुत जर्जर था।
Internet पर उपलब्ध कई लेखों में कहा गया है कि ये बंगला अभिनेता पहले भारत भूषण का था, लेकिन ये दावा गलत है।
इस बंगले की बाहरी दीवार पर अंग्रेज़ी में लिखा था “Bano Villa”। यह बंगला आसपास के लोगों ने अभिशप्त बंगला या भूत बंगला कहा था।
कोई इसे ख़रीदने को तैयार नहीं था।
तक़रीबन इसी दौर में हिंदी सिनेमा में दस साल से काम कर रहे अभिनेता राजेन्द्र कुमार को मदर इंडिया (1957) में एक छोटा सा रोल और फिर धूल का फूल (1959) में कुछ कामयाबी मिली।
उन्होंने डिंपल नामक बेटी को जन्म दिया। राजेन्द्र अपने सांता क्रूज़ के छोटे फ्लैट से बड़े घर में शिफ्ट होना चाहते थे क्योंकि उनका परिवार बढ़ रहा था।
3 फरवरी 1959 की सुबह, एक संपत्ति ब्रोकर ने उन्हें फोन किया और कहा कि “कार्टर रोड पर एक दो मंज़िला घर है।” बिलकुल वैसा ही जैसा आप खोज रहे हैं। क्या तुम जल्दी आ सकते हो?”
राजेन्द्र कुमार की आधिकारिक जीवनी, “जुबली कुमार: द लाइफ़ एंड टाइम्स ऑफ़ ए सुपरस्टार,” की लेखिका सीमा सोनी आलिमचंद ने ये जानकारी दी।
“राजेन्द्र कुमार उसी समय वहां पहुंचे,” उन्होंने बताया। उन्हें समंदर के सामने ये पुराना सुंदर घर दिखाई दिया, जहां से ठंडी हवा आ रही थी। उन्हें अपने परिवार के ज्योतिषी ने बताया कि राजेन्द्र का नया घर समंदर के पास होगा, तुरंत याद आया। राजेन्द्र ने बानो विला को पहली बार देखा।”
जब प्रॉपर्टी ब्रोकर से किराया माँगा गया, तो उसने कहा कि घर मालिक किराया नहीं लेना चाहता है, बल्कि घर बेचना चाहता है, “यहां कोई राइटर रहता है जो लोगों को बताता रहता है कि इस घर में भूतों का वास है ताकि ये घर बिकने ना पाए और वो खुद यहां रहता रहे।” मकान मालिक इसे किसी भी समय बेचेगा और मैं आपको उचित सौदा कर सकता हूँ।”
65,000 में सौदा हुआ। राजेन्द्र की पत्नी को भुतहा घर का पता चला तो वे घबरा गईं। लेकिन पत्नी की मां ने कहा, “बंबई जैसे शहर में लोगों के रहने को तो जगह नहीं है, भूत क्या ख़ाक रहेंगे।”
फ़ैसला किया गया है। राजेन्द्र कुमार को पूरा पैसा नहीं था। उन्होंने प्रसिद्ध फिल्मकार बी.आर. चोपड़ा से कहा कि वे ना सिर्फ उनकी फिल्म कानून में गाने नहीं देंगे, बल्कि दो और फिल्मों में काम करने को भी तैयार हैं, बशर्ते उन्हें पहले से ही उनकी कमाई मिल जाए।
बीआर चोपड़ा मान गए और राजेन्द्र कुमार ने भूत बंगले के नाम से प्रसिद्ध ‘बानो विला’ खरीद लिया। अपनी बेटी के नाम पर उसे “डिंपल” नाम दिया। राजेन्द्र कुमार ने अपने करीबी दोस्त अभिनेता मनोज कुमार की सलाह पर घर पहुंचने से पहले भूतों को दूर करने के लिए एक विशिष्ट हवन करवाना नहीं भूला।
फिल्मी उद्योग के अनुभवी लोगों को याद है कि इस घर ने राजेन्द्र कुमार की किस्मत बदल दी। पिछले दस वर्षों से तलाश कर रहे थे कि एक बड़ी कामयाबी अब आ गई।
जब वे इस बंगले में रहे, वह राजेन्द्र कुमार के जीवन का सबसे सुखद समय था। हिंदी सिनेमा में वह “जुबिली कुमार” कहलाया क्योंकि उनकी अधिकांश फिल्में, जैसे मेरे महबूब, घराना संगम, आरज़ू और सूरज, जुबिली मनाती थीं।
राजेन्द्र कुमार ने अपनी जीवनी “जुबिली कुमार: द लाइफ़ एंड टाइम्स ऑफ़ ए सुपरस्टार” में कहा इसी घर में मैंने अपने जीवन के सबसे अच्छे साल बिताए।”
कुछ साल बाद, बहुत धन और सुख पा चुके राजेन्द्र कुमार ने ये बंगला छोड़कर पाली हिल में अपना नया बंगला बनाया। कार्टर रोड का ये बंगला, जो राजेन्द्र कुमार की बेहतरीन यात्रा का गवाह था, अब एक नए मालिक की प्रतीक्षा में था।
एक बार फिर इतिहास होने वाला था।
1969 में राजेश खन्ना की कामयाबी ने देश को हिला दिया। वो पहले फिल्मस्टार थे जिन्हें “फ़िनोमिना” कहा गया, और फिर “सुपरस्टार” शब्द बनाया गया।
राजेश खन्ना, जो बंबई में ही पले-बढ़े थे, एक सी-फेसिंग घर खरीदने का लंबे समय से सपना था। उन्हें लगता था कि ये बंगला उनके सपने से बहुत पास था।
1969 की आधी रात, निर्देशक रमेश बहल और राजेश खन्ना राजेन्द्र कुमार के घर में बैठे थे।
तब राजेश खन्ना, राजेन्द्र कुमार से बोले, “पापाजी आपका कार्टर रोड वाला बंगला ख़ाली पड़ा है और मुझे एक घर ख़रीदना है…” राजेन्द्र कुमार ने जवाब दिया, “मुझे उस घर को बेचने की ज़रूरत नहीं है.” “पापाजी, प्लीज़ इस बारे में सोचिएगा. मैंने अपना करियर शुरू किया है और आप देश के सबसे बड़े स्टार हैं. आपका घर ले लूंगा तो मेरी ज़िंदगी बदल जाएगी. शायद आपके जैसी थोड़ी बहुत कामयाबी मेरे हिस्से भी आ जाए.” राजेश खन्ना ने बहुत देर तक मिन्नत की. आखिरकार राजेन्द्र कुमार मुस्कुराए, “बरख़ुर्दार, अगर ऐसा है तो डिंपल तुम्हारा हुआ. मैं उम्मीद करता हूं कि ये घर तुम्हारे लिए किस्मत लेकर आए.” राजेश खन्ना ने राजेन्द्र कुमार के पैर छूकर आशीर्वाद लिया.
बंगले के साथ क़िस्मत की अदला-बदली?
सीमा सोनी आलिमचंद ने लिखा है कि इस बात से राजेन्द्र कुमार की पत्नी शुक्ला बेहद नाराज़ हुईं, उन्होंने राजेंद्र कुमार से कहा भी था, “हमें पैसे की ज़रूरत नहीं थी फिर भी तुमने सिर्फ साढ़े तीन लाख में वो घर बेच दिया.” मगर राजेन्द्र ज़ुबान दे चुके थे. बंगला बिकने के बाद राजेन्द्र कुमार की फ़िल्में आश्चर्जनक रूप से पिटने लगीं. बतौर हीरो उनका करियर ढलान पर आ गया. मीडिया ने कहा कि इसकी वजह भाग्यशाली ‘डिंपल’ का बिकना है. मगर राजेन्द्र कुमार खुद इसमें यक़ीन नहीं करते थे. सुपरस्टार राजेश खन्ना बड़े धूमधाम से बंगले में शिफ्ट हुए. अपने पिता चुन्नीलाल खन्ना से बंगले का नाम रखने को कहा.
राजेश के माता-पिता को अचानक मिली इस अद्भुत सफलता के बाद उनका डर है कि कहीं उनके बेटे को कोई देख लेगा।
मैंने अभिनेता सचिन पिलगांवकर से इस बंगले के नामकरण की दिलचस्प कहानी सुनी, “काका जी (राजेश खन्ना) के पिता ने कहा कि बंगले का नाम आशीर्वाद होगा।”
इसकी वजह यह थी कि उनका बेटा हमेशा “आशीर्वाद” में रहेगा। उसने कहा कि पते के रूप में उसे “राजेश खन्ना, आशीर्वाद” लिखना ही चाहिए अगर जतिन (राजेश) से घृणा करने वाला उसे पत्र में गाली देगा या कुछ बुरा लिखकर भेजेगा। यानी राजेश खन्ना को हर पत्र और संदेश से आशीर्वाद मिलता रहेगा।”
राजेश खन्ना ने बंगले में शिफ्ट होते ही राजेन्द्र कुमार से भी अधिक सफलता हासिल की. उन्होंने लगातार पंद्रह सुपरहिट फिल्में बनाईं, फ़िल्म मैगज़ीन और अखबारों में उनके नए बंगले की तस्वीरें छपीं, और आशीर्वाद को देश भर से आने वाले पर्यटकों की ख़ास मांग थी कि उन्हें सुपरस्टार का बंगला दिखाया जाए।
उनके पास प्रतिदिन हजारों पत्र आते हैं, जिनमें सिर्फ नाम – राजेश खन्ना, आशीर्वाद, बंबई।
इनमें राजेश खन्ना की दीवानी लड़कियों के खुशबूदार पत्र, शादी के प्रपोज़ल और खून से लिखे पत्र भी शामिल थे, जिनके बारे में पहले भी बहुत कुछ कहा और लिखा गया था।
राजेश खन्ना ने बहुत से आशीर्वाद पत्रों को छांटकर उनका उत्तर देने के लिए हर बार एक व्यक्ति को रख लिया। ये व्यक्ति प्रशांत रॉय थे। प्रशांत ने लगभग दो दशक तक आशीर्वाद में काम किया।
“आशीर्वाद में फैन मेल का ढेर लगता था हर दिन,” प्रशांत ने बताया। काका जी अक्सर आते थे और प्रशांत से पूछते थे कि आज का सबसे अच्छा खत कौन है? वो खत पढ़ते हुए हमारी ओर देखकर मुस्कराए।”
वह अपने प्रशंसकों की भावनाओं को देखकर हैरान हो गए और हंसते हुए पंजाबी में पूछते थे, “हुँण की करां?” इस स्थान से लोग..।उधर से लोग, रक्खा लेटर..।क्या करूँ? क्या हो गया?हाल ही में व्यवसाय में एक नई कहावत बन गई—ऊपर आका, नीचे काका।”
इस बंगले में राजेश खन्ना के चित्रों और ट्रॉफ़ीज़ से सजा हुआ वह प्रसिद्ध कमरा भी था, जहां वे इंटरव्यू देते थे।
लेखक सलीम खान ने मुझे बताया, “आज मेरा बेटा सलमान बड़ा स्टार है।” हर दिन हमारे घर के बाहर उसे देखने के लिए भीड़ लगती है। मुझे बताया जाता है कि पहले कभी कोई स्टार इतना आकर्षित नहीं हुआ था। मैं उन लोगों को बताता हूँ कि कार्टर रोड पर, इसी सड़क से कुछ दूरी पर, मैंने ऐसे कई चित्रों को देखा है। राजेश खन्ना के बाद मैंने किसी दूसरे अभिनेता को इतना प्यार नहीं देखा।”
फिल्म इंडस्ट्री में “खन्ना दरबार” के नाम से हर शाम “आशीर्वाद” में महफिल सजती थी।